सुनें 👇 जब करीब होता हूँ उसके lagaav मन खुशियों से भर जाता है नाचने गाने का मन करता है सब कुछ अच्छा लगने लगता है जब दूर होता हूँ उससे मन उदासियों से भर जाता है उसकी चिंता सताती है एक डर सा बना रहता है कुछ भी रास नहीं आता है ये लगाव भी कैसे कैसे एहसास कराता है कभी उदासी की वजह बन जाता है तो ये कभी खुशियों की वजह बन जाता है आप यह वीडियो भी देख सकते हैं 👇 लगाव (कविता ) वीडियो वो मुझसे अनजान थी मैं उससे अनजान था समय के साथ साथ हम करीब आये वो क्या पल थे वो मेरी पहचान थी मैं उसकी पहचान था समय के साथ साथ हम दूर हो गए ,रास्ते बदल गए हम अलग होकर भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं दूर होकर भी लगता है मैं उसके करीब हूँ वो मेरे करीब है ये लगाव भी क्या अजीब चीज़ है ये लगाव भी क्या अजीब चीज़ है जिससे हो गया वो पराये होकर भी अपने हो गए जिससे नहीं हुआ या नहीं रहा वो अपने होकर भी पराये हो गए जिससे हो गया वो दूर होकर भी करीब है जिससे नहीं हुआ वो पास होकर भी दूर है सच में ये लगाव का खेल बड़ा ही अजीब है किसी ने इसे बरक़रार रखा और किसी ने इसे तोड़ दिया जिसने तोड़ दिया उसका साथ टूट गया जिसने
सुनें 👇 उस दिन मेरे भाई ने दुकान से फ़ोन किया की वह अपना बैग घर में भूल गया है ,जल्दी से वह बैग दुकान पहुँचा दो । मैं उसका बैग लेकर घर से मोटरसाईकल पर दुकान की तरफ निकला। अभी आधी दुरी भी पार नहीं हुआ था की मोटरसाइकल की गति अपने आप धीरे होने लगी और थोड़ी देर में मोटरसाइकिल बंद हो गयी। मैंने चेक किया तो पाया की मोटरसाइकल का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। मैंने सोचा ये कैसे हो गया ! अभी कल तो ज्यादा पेट्रोल था ,किसी ने निकाल लिया क्या ! या फिर किसी ने इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया होगा। मुझे एक बार घर से निकलते समय देख लेना चाहिए था। अब क्या करूँ ? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ? मोटरसाइकिल चलाना ऐसे समय पर भगवान की याद आ ही जाती है। मैंने भी मन ही मन भगवान को याद किया और कहा हे भगवान कैसे भी ये मोटरसाइकल चालू हो जाये और मैं पेट्रोल पंप तक पहुँच जाऊँ। भगवान से ऐसे प्रार्थना करने के बाद मैंने मोटरसाइकिल को किक मार कर चालू करने की बहुत कोशिश किया लेकिन मोटरसाइकल चालू नहीं हुई। और फिर मैंने ये मान लिया की पेट्रोल ख़त्म हो चूका है मोटरसाइकल ऐसे नहीं चलने वाली। आखिर मुझे चलना तो है ही क्योंकि पेट