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Showing posts from October, 2023

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When will the Ravana of the mind burn? (Poem)

Listen - When will the Ravana of the mind burn? Effigies are burnt every year Every year the mind gets amused after seeing the burning effigies. But when will the mind change after being inspired by goodness? When will the Ravana of the mind burn? Fairs are held every year by quarreling with loved ones wandering alone in the crowd When will this rift with loved ones end? When will the Ravana of the mind burn? You can also watch this video 👇 When will the Ravana of the mind burn? (Poem) In English Ravana was also hardworking, brave and scholar. But he was a renowned devil because of his evil intentions and evil deeds. When will today's scholar, hardworking and brave youth move forward with good intentions and good deeds? When will the Ravana of the mind burn? You see shortcomings in others, you feel bad about the foolishness of others. When will you recognize the goodness and flaws within yourself? When will Hridaya Ka Ram wake up? When will the Ravana of the mind burn? You fight i

मन का रावण कब जलेगा (कविता)

मन का रावण कब जलेगा  जलते हैं हर साल पुतले  देखकर जिसको मन तो बहले  लेकिन अच्छाई से प्रेरित होकर मन कब बदलेगा  मन का रावण कब जलेगा  आप यह वीडियो भी देख सकते हैं 👇 मन का रावण कब जलेगा (कविता) वीडियो लगते हैं हर साल मेले  अपनों से मनमुटाव करके  घूमते हैं भीड़ में अकेले  अपनों से ये मनमुटाव कब मिटेगा  मन का रावण कब जलेगा  रावण भी मेहनती था ,बहादुर था ,विद्वान था  लेकिन वो बुरी नियत और बुरे कर्मों के कारण एक प्रख्यात शैतान था  आज का विद्वान ,मेहनती और बहादुर जवान अच्छी नियत और अच्छे कर्मों के लिए आगे कब बढ़ेगा  मन का रावण कब जलेगा  देखते हो दूसरों में कमियां ,बुरी लगती हैं दूसरों की नादानियाँ  अपने अंदर की कब पहचानोगे अच्छाइयाँ और खामियाँ  हृदय का राम कब जगेगा  मन का रावण कब जलेगा  लड़ते हो राम के नाम पर  राम के चरित्र में त्याग था ,मर्यादा थी ,सादापन ,मानवता और प्रेम की भावना थी  राम का चरित्र कब समझोगे  जिसने अपनों के लिए महल छोड़ खुशी से वनवास अपना लिया  वो अपने नाम पर फैलाये नफरत से खुश होगा ये हमने कैसे सोच लिया  ऊपर से राम का आवरण है अंदर से रावण का आचरण है  इंसान राम का आचरण कब समझेगा 

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वह दिन - एक सच्चा अनुभव

 सुनें 👇 उस दिन मेरे भाई ने दुकान से फ़ोन किया की वह अपना बैग घर में भूल गया है ,जल्दी से वह बैग दुकान पहुँचा दो । मैं उसका बैग लेकर घर से मोटरसाईकल पर दुकान की तरफ निकला। अभी आधी दुरी भी पार नहीं हुआ था की मोटरसाइकल की गति अपने आप धीरे होने लगी और  थोड़ी देर में मोटरसाइकिल बंद हो गयी। मैंने चेक किया तो पाया की मोटरसाइकल का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। मैंने सोचा ये कैसे हो गया ! अभी कल तो ज्यादा पेट्रोल था ,किसी ने निकाल लिया क्या ! या फिर किसी ने इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया होगा। मुझे एक बार घर से निकलते समय देख लेना चाहिए था। अब क्या करूँ ? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ?  मोटरसाइकिल चलाना  ऐसे समय पर भगवान की याद आ ही जाती है। मैंने भी मन ही मन भगवान को याद किया और कहा हे भगवान कैसे भी ये मोटरसाइकल चालू हो जाये और मैं पेट्रोल पंप तक पहुँच जाऊँ। भगवान से ऐसे प्रार्थना करने के बाद मैंने मोटरसाइकिल को किक मार कर चालू करने की बहुत कोशिश किया लेकिन मोटरसाइकल चालू नहीं हुई। और फिर मैंने ये मान लिया की पेट्रोल ख़त्म हो चूका है मोटरसाइकल ऐसे नहीं चलने वाली।  आखिर मुझे चलना तो है ही क्योंकि पेट

व्यवहारिक जीवन और शिक्षा

सुनें 👇 एक दिन दोपहर को अपने काम से थोड़ा ब्रेक लेकर जब मैं अपनी छत की गैलरी में टहल रहा था और धुप सेंक रहा था। अब क्या है की उस दिन ठंडी ज्यादा महसूस हो रही थी। तभी मेरी नज़र आसमान में उड़ती दो पतंगों पर पड़ी। उन पतंगों को देखकर अच्छा लग रहा था। उन पतंगों को देखकर मैं सोच रहा था ,कभी मैं भी जब बच्चा था और गांव में था तो मैं पतंग उड़ाने का शौकीन था। मैंने बहुत पतंगे उड़ाई हैं कभी खरीदकर तो कभी अख़बार से बनाकर। पता नहीं अब वैसे पतंग  उड़ा पाऊँगा की नहीं। गैलरी में खड़ा होना    पतंगों को उड़ते देखते हुए यही सब सोच रहा था। तभी मेरे किराये में रहने वाली एक महिला आयी हाथ में कुछ लेकर कपडे से ढके हुए और मम्मी के बारे में पूछा तो मैंने बताया नीचे होंगी रसोई में। वो नीचे चली गयी और मैं फिर से उन पतंगों की तरफ देखने लगा। मैंने देखा एक पतंग कट गयी और हवा में आज़ाद कहीं गिरने लगी। अगर अभी मैं बच्चा होता तो वो पतंग लूटने के लिए दौड़ पड़ता। उस कटी हुई पतंग को गिरते हुए देखते हुए मुझे अपने बचपन की वो शाम याद आ गई। हाथ में पतंग  मैं अपने गांव के घर के दो तले पर से पतंग उड़ा रहा था वो भी सिलाई वाली रील से। मैंने प

अनुभव पत्र

सुनें 👉 आज मैं बहुत दिनों बाद अपने ऑफिस गया लगभग एक साल बाद इस उम्मीद में की आज मुझे मेरा एक्सपीरियंस लेटर मिल जाएगा। वैसे मै ऑफिस दोबारा कभी नहीं जाना चाहता 😓लेकिन मजबूरी है 😓क्योंकि एक साल हो गए ऑफिस छोड़े हुए😎।नियम के मुताबिक ऑफिस छोड़ने के 45 दिन के बाद  मेरे ईमेल एकाउंट मे एक्सपीरियंस लेटर आ जाना चाहिए था☝। आखिर जिंदगी के पाँच साल उस ऑफिस में दिए हैं एक्सपीरियंस लेटर तो लेना ही चाहिए। मेरा काम वैसे तो सिर्फ 10 मिनट का है लेकिन देखता हूँ कितना समय लगता है😕।  समय  फिर याद आया कुणाल को तो बताना ही भूल गया😥। हमने तय किया था की एक्सपीरियंस लेटर लेने हम साथ में जायेंगे😇  सोचा चलो कोई बात नहीं ऑफिस पहुँच कर उसको फ़ोन कर दूंगा😑। मैं भी कौन सा ये सोच कर निकला था की ऑफिस जाना है एक्सपीरियंस लेटर लेने।आया तो दूसरे काम से था जो हुआ नहीं सोचा चलो ऑफिस में भी चल के देख लेत्ते हैं😊। आखिर आज नहीं जाऊंगा तो कभी तो जाना ही है इससे अच्छा आज ही चल लेते है👌। गाड़ी में पेट्रोल भी कम है उधर रास्ते में एटीएम भी है पैसे भी निकालने है और वापस आते वक़्त पेट्रोल भी भरा लूंगा👍।  ऑफिस जाना  पैसे निकालने