दृष्टिकोण

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एक दिन ऐसे ही अमीरी और गरीबी के बारे में सोच रहा था। अगर मेरे पास ज्यादा पैसे आ जाएँ तो कितना अच्छा हो जायेगा। आठ या नौ घंटे की नौकरी से छुटकारा मिल जायेगा। अपने  हिसाब से अपनी दिनचर्या कर सकूंगा। सुबह जल्दी उठूंगा। उगते सूरज को देखूंगा। सुबह की ताज़ी हवा को महसूस करूँगा। कभी भी अपने हिसाब से अपने गांव आ जा सकूंगा। रिश्तेदारों से मिलता रहूँगा। और अगर बहुत ज्यादा पैसे आ गए तो दुनिया की सारी अच्छी जगहों पर घूम के आऊंगा। रात को सुकून से पूरी नींद सोऊंगा। कुछ पैसे मैं अच्छे कामों में लगाऊंगा। 

दृष्टिकोण
तमन्ना

लेकिन एक बात का हमेशा ध्यान रखूँगा की मैं बिलकुल साधारण तरीके से जीऊंगा।  मैं वैसे ही रहूँगा जैसे आज रह रहा हूँ। मैं सुबह जल्दी उठता हूँ ,योग और कसरत करता हूँ ,सादा और शाकाहारी भोजन करता हूँ। अपनी अमीरी दिखाने के लिए फ़िज़ूलखर्च बिलकुल नहीं करूँगा जैसे अगर मेरा काम मोटरसाइकिल चलाने से हो जाता है तो मैं कार नहीं खरीदूंगा। मेरा मानना है की पैसा अकाउंट में ही अच्छा लगता है दिमाग में नहीं। मैंने पैसे की वजह से बहुत लोगों के व्यवहार में बदलाव देखा है। 

दृष्टिकोण
दिखावा 

यही सोचते-सोचते मुझे एक मैगज़ीन में पढ़ी हुई कहानी याद आ गयी जिसमे एक गरीब ,फटेहाल बच्चा बड़ी उत्सुकता से एक सेठ की कीमती विदेशी कार को निहार रहा था। सेठ को उस गरीब बच्चे पर दया आती है और वो उस बच्चे को कार में बिठा कर घुमाने ले जाता है। 

रास्ते में उस सेठ और बच्चे में बातचीत होती है। जब वह बच्चा कार की तारीफ करता है तब सेठ उस बच्चे को बताता है की कार बहुत महँगी है और ये कार उसे उसके बड़े भाई ने तोहफे में दिया है। 

थोड़ी देर बाद सेठ उस बच्चे से कहता है की तुम यही सोच रहे हो न की काश कोई तुम्हे भी ऐसा महँगा तोहफा देता तो कितना अच्छा होता। सेठ की बात सुनकर बच्चा कहता है की नहीं मैं तो आपके बड़े भाई की तरह बनना चाहता हूँ और यही सोच रहा हूँ की आपके बड़े भाई की तरह कैसे बन सकता हूँ। 

दृष्टिकोण
दृष्टिकोण

शायद आज हमारे समाज को ऐसे ही दृष्टिकोण की जरुरत है जैसे कहानी के इस बच्चे की है। हम क्या बनना चाहते हैं ?, हमारी काबिलियत क्या है और उसे कैसे निखार सकते हैं ? हमारी किस विषय में ज्यादा रूचि है ? हम क्या अच्छा कर सकते हैं ? इन सब सवालो के जवाब हम खुद से बात करके खुद ही समझ सकते हैं।

लेकिन होता ये है की हम अपने आप को समझने के बजाय दूसरों की बातों में आकर अपने ज़िन्दगी के फैसले लेते हैं जैसे कोई और किसी कंपनी में अच्छे पैसे कमा रहा है तो हम और हमारे परिवार वाले ये दबाव डालेंगे की तुम भी उसके जैसे जॉब करो। मैं परिवार के दबाव में आकर ये बात मान भी जाऊंगा ये सोचे बगैर की मेरी किसमें रूचि है और मैं क्या अच्छा कर सकता हूँ !

जरुरी नहीं की ज़िन्दगी के हर फैसले आपके परिवाले और दोस्त ही लें और वो हमेशा सही ही हों। ये भी जरुरी नहीं की वो आपके हर फैसले को सही समझें भले ही आपका फैसला कितना ही सही हो। इसलिए आपकी ज़िन्दगी के बारे में कोई कितनी भी राय दे ,सबकी सुने लेकिन आखरी फैसला आपका होना चाहिए चाहे इससे कई लोग नाराज़ भी हों।  

क्योंकि आपका हुनर आपका है। ये आपके अंदर विकसित हुआ है। आपके बारे में आपके अलावा कोई भी अच्छे से नहीं जान सकता है। आपकी सोच ,आपकी अच्छाइयां ,आपकी कमजोरियाँ ये सिर्फ सही से आप जानते है और समझते हैं। दूसरों से आप किसी विषय पर राय ले सकते हैं और मदद भी ले सकते हैं। लेकिन जीवन हो या करियर आप के लिए सही फैसला तो आपको ही लेना पड़ेगा। 

दृष्टिकोण
खुद पर भरोसा

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