सुनें 👇 उस दिन रात के साढ़े आठ बजे होंगे। मेरे छोटे साले के फ़ोन आया वो भी वीडियो कॉल। मैं उस समय फेसबुक पर अलग अलग वीडियो देख रहा था ,जो की मेरी रोज की आदत है। न चाहते हुए भी पता नहीं क्यों ,मैं सोने से पहले वीडियो देखता ही हूँ और बहुत ज्यादा देखता हूँ ,ये जानते हुए भी की इतना वीडियो देखना हानिकारक है फिर भी देखता हूँ। स्मार्टफोन में देखना कुछ समय पहले मैंने इस आदत पर पूरी तरह काबू भी कर लिया था। शाम को ७ बजे के बाद मैं मोबाइल को दूर रख देता था। अलार्म के लिए भी मैंने एक छोटी अलार्म घडी ख़रीदा है और इस्तेमाल भी करता हूँ। क्योंकि कई बार ऐसा होता था की मैं मोबाइल में अलार्म लगाकर पास में रखता था चूँकि मोबाइल में होता था तो कुछ न कुछ देखने का मन करता ही था। और अगर एक बार देखना शुरू हो जाओ तो देखते देखते समय का पता ही नहीं चलता है और उसके बाद रात को नींद न पूरी होने का खामियाज़ा पूरे अगले दिन भुगतना पड़ता है। जैसे की रात को देर से सोने पर सुबह देर से उठना और बाकि के सारे काम देर से होना और अगर जबरदस्ती जल्दी उठ भी गए तो अधूरी नींद की वजह से काम में मन न लगना ,आलस होना, काम सही से न होना और
सुनें 👇 उस दिन मेरे भाई ने दुकान से फ़ोन किया की वह अपना बैग घर में भूल गया है ,जल्दी से वह बैग दुकान पहुँचा दो । मैं उसका बैग लेकर घर से मोटरसाईकल पर दुकान की तरफ निकला। अभी आधी दुरी भी पार नहीं हुआ था की मोटरसाइकल की गति अपने आप धीरे होने लगी और थोड़ी देर में मोटरसाइकिल बंद हो गयी। मैंने चेक किया तो पाया की मोटरसाइकल का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। मैंने सोचा ये कैसे हो गया ! अभी कल तो ज्यादा पेट्रोल था ,किसी ने निकाल लिया क्या ! या फिर किसी ने इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया होगा। मुझे एक बार घर से निकलते समय देख लेना चाहिए था। अब क्या करूँ ? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ? मोटरसाइकिल चलाना ऐसे समय पर भगवान की याद आ ही जाती है। मैंने भी मन ही मन भगवान को याद किया और कहा हे भगवान कैसे भी ये मोटरसाइकल चालू हो जाये और मैं पेट्रोल पंप तक पहुँच जाऊँ। भगवान से ऐसे प्रार्थना करने के बाद मैंने मोटरसाइकिल को किक मार कर चालू करने की बहुत कोशिश किया लेकिन मोटरसाइकल चालू नहीं हुई। और फिर मैंने ये मान लिया की पेट्रोल ख़त्म हो चूका है मोटरसाइकल ऐसे नहीं चलने वाली। आखिर मुझे चलना तो है ही क्योंकि पेट