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Showing posts from May, 2024

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मैंने अपनी बुरी आदत से कैसे छुटकारा पाया

सुनें 👇 उस दिन रात के साढ़े आठ बजे होंगे। मेरे छोटे साले के फ़ोन आया वो भी वीडियो कॉल। मैं उस समय फेसबुक पर अलग अलग वीडियो देख रहा था ,जो की मेरी रोज की आदत है। न चाहते हुए भी पता नहीं क्यों ,मैं सोने से पहले वीडियो देखता ही हूँ और बहुत ज्यादा देखता हूँ ,ये जानते हुए भी की इतना वीडियो देखना हानिकारक है फिर भी देखता हूँ।  स्मार्टफोन में देखना  कुछ समय पहले मैंने इस आदत पर पूरी तरह काबू भी कर लिया था। शाम को ७ बजे के बाद मैं मोबाइल को दूर रख देता था। अलार्म के लिए भी मैंने एक छोटी अलार्म घडी ख़रीदा है और इस्तेमाल भी करता हूँ। क्योंकि कई बार ऐसा होता था की मैं मोबाइल में अलार्म लगाकर पास में रखता था चूँकि मोबाइल में होता था तो कुछ न कुछ देखने का मन करता ही था। और अगर एक बार देखना शुरू हो जाओ तो देखते देखते समय का पता ही नहीं चलता है और उसके बाद रात को नींद न पूरी होने का खामियाज़ा पूरे अगले दिन भुगतना पड़ता है। जैसे की रात को देर से सोने पर सुबह देर से उठना और बाकि के सारे काम देर से होना और अगर जबरदस्ती जल्दी उठ भी गए तो अधूरी नींद की वजह से काम में मन न लगना ,आलस होना, काम सही से न होना और

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप

सुनें 👇 जीवन में बदलते समय के अनुसार न बदलने के कारण ,आज के जीवन की उलझने और भाग दौड़ के कारण कभी कभी हमसे कुछ ऐसा हो जाता है  की उसे याद करने पर शर्म भी आती है और बहुत हँसी भी आती है। मेरे साथ भी एक ऐसी ही घटना हुई है जिसको याद करके मुझे शर्म भी महसूस होता है और हँसी भी आती है। ये घटना २०१७ की है जब मैं एक ऑफिस में काम करता था। मैंने उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल किया है जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं जिसके कारण इंग्लिश के कुछ शब्द हिंदी में इस्तेमाल हुए है ताकि जितना हो सके मैं आपको वैसा ही महसूस करा सकूँ जितना मुझे महसूस हो रहा था।   दो लोगों का ग्रुप  उस दिन दोपहर को मेरा ऑफिस का शिफ्ट शुरू हुए लगभग आधा घंटा हो चुका था।  मैं अपने नए ग्रुप लीडर सागर से कुछ डिसकस कर रहा था।  तभी मेरा पुराना ग्रुप लीडर हरीश मेरी तरफ आया  और मुझसे बोला-" राकेश, मैंने कहा था न कि व्हाट्सएप ग्रुप पर छुट्टी के लिए रिक्वेस्ट मत भेजा करो"।अगर  बहुत अर्जेंट है तो मुझे पर्सनली व्हाट्सप्प पर मैसेज किया करो"।  हरीश जो कि मेरा पुराना ग्रुप लीडर था और अब दूसरे और नए प्रोसेस मे शिफ्ट कर दिया

चुप रहना-अच्छा या बुरा

सुनें 👇 दोस्तों कहीं न कहीं हम सबको ये उलझन रहती है की अगर कोई समस्या आ गयी तो उसपर हमारी प्रतिक्रिया कैसी होनी चाहिए। हमें उस समय बोलना चाहिए या चुप रहना चाहिए। बोलना ज्यादा अच्छा होता है या चुप रहना या ये भी कह सकते हैं की किसी समस्या का हल बोलने से निकाला जा सकता है या चुप रहने से भी समस्या हल हो सकती है। मेरे जीवन में भी कुछ ऐसी घटनाएँ घटी है जिनके माध्यम से मैंने इसका जवाब निकालने की कोशिश किया है।  सोचना  रेलवे प्लेटफॉर्म पर साइकिल चलाना  -  उन दिनों हम नए नए ध्रांगध्रा में आये थे। ध्रांगध्रा गुजरात की एक जगह है। मेरे पापा एक फौजी थे और उनकी पोस्टिंग ध्रांगध्रा में हुई थी। उन दिनों हमारे पास कहीं आने जाने की लिए एक ही साधन था साइकिल जिससे मेरे पापा अपने रेजिमेंट जाते थे और बाकि जगहों पर भी जाते थे।  मैंने उन दिनों नया नया साइकिल चलाना सीखा था। मुझे साइकिल चलाना बहुत पसंद था इसलिए जब भी और किसी की भी साइकिल चलाने का मौका मिलता था तो मैं वो मौका छोड़ता नहीं था। उस दिन भी वही हुआ मेरे पापा अपने किसी परिचित से मिलने ध्रांगध्रा रेलवे स्टेशन पहुंचे मुझे भी अपने साथ लेकर साइकिल पर। स्टे

एक दृष्टिकोण जो जीवन की कई समस्याओं का समाधान कर सकता है

सुनें 👇 आज योग और टहलने के बाद अपने घर के छत पर सुबह की धूप ले रहा था। देश ,समाज और आज की परिस्तिथियों के बारे में सोचते हुए ये ख्याल आया की क्यों न हम अगर ये मान लें की हमारा शरीर ही हमारा मंदिर है ,मस्जिद है ,चर्च है या हर उस ईमारत के समान है जहाँ माना जाता है की भगवान् का वास है।  सोचना  हम अपने शरीर को भगवान की जगह मान कर उसका ख्याल रखें तो कितना अच्छा होगा। जैसे किसी पूजा वाली जगह का हम सही से और बहुत ही दिल से ख्याल रखते हैं जैसे वहां किसी प्रकार की गन्दगी न हो इसलिए सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है। वहां कोई गलत काम न हो इसका भी ख्याल किया जाता है। कोई भी बुरी या नुकसानदायक चीज़ लाने की वहां पर पाबन्दी होती है। अगर वहां कोई कमी रह जाये या किसी हिस्से में कोई समस्या आ जाये तो तुरंत और बहुत ही श्रद्धा से उसका उचित उपाय किया जाता है। इसी तरह से अगर हम अपने शरीर का ध्यान रखें जैसे अपने आसपास गन्दगी न रखें। शरीर की सफाई का बहुत ध्यान रखें। कोई भी गलत आदतों से बचें जो शरीर के लिए नुकसानदायक हो। कोई भी ऐसे चीज़ न खाएं या इस्तेमाल करें जो शरीर को नुकसान पहुचायें। और अगर शरीर बीमार पड़ जाये

वह दिन - एक सच्चा अनुभव

 सुनें 👇 उस दिन मेरे भाई ने दुकान से फ़ोन किया की वह अपना बैग घर में भूल गया है ,जल्दी से वह बैग दुकान पहुँचा दो । मैं उसका बैग लेकर घर से मोटरसाईकल पर दुकान की तरफ निकला। अभी आधी दुरी भी पार नहीं हुआ था की मोटरसाइकल की गति अपने आप धीरे होने लगी और  थोड़ी देर में मोटरसाइकिल बंद हो गयी। मैंने चेक किया तो पाया की मोटरसाइकल का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। मैंने सोचा ये कैसे हो गया ! अभी कल तो ज्यादा पेट्रोल था ,किसी ने निकाल लिया क्या ! या फिर किसी ने इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया होगा। मुझे एक बार घर से निकलते समय देख लेना चाहिए था। अब क्या करूँ ? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ?  मोटरसाइकिल चलाना  ऐसे समय पर भगवान की याद आ ही जाती है। मैंने भी मन ही मन भगवान को याद किया और कहा हे भगवान कैसे भी ये मोटरसाइकल चालू हो जाये और मैं पेट्रोल पंप तक पहुँच जाऊँ। भगवान से ऐसे प्रार्थना करने के बाद मैंने मोटरसाइकिल को किक मार कर चालू करने की बहुत कोशिश किया लेकिन मोटरसाइकल चालू नहीं हुई। और फिर मैंने ये मान लिया की पेट्रोल ख़त्म हो चूका है मोटरसाइकल ऐसे नहीं चलने वाली।  आखिर मुझे चलना तो है ही क्योंकि पेट

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वह दिन - एक सच्चा अनुभव

 सुनें 👇 उस दिन मेरे भाई ने दुकान से फ़ोन किया की वह अपना बैग घर में भूल गया है ,जल्दी से वह बैग दुकान पहुँचा दो । मैं उसका बैग लेकर घर से मोटरसाईकल पर दुकान की तरफ निकला। अभी आधी दुरी भी पार नहीं हुआ था की मोटरसाइकल की गति अपने आप धीरे होने लगी और  थोड़ी देर में मोटरसाइकिल बंद हो गयी। मैंने चेक किया तो पाया की मोटरसाइकल का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। मैंने सोचा ये कैसे हो गया ! अभी कल तो ज्यादा पेट्रोल था ,किसी ने निकाल लिया क्या ! या फिर किसी ने इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया होगा। मुझे एक बार घर से निकलते समय देख लेना चाहिए था। अब क्या करूँ ? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ?  मोटरसाइकिल चलाना  ऐसे समय पर भगवान की याद आ ही जाती है। मैंने भी मन ही मन भगवान को याद किया और कहा हे भगवान कैसे भी ये मोटरसाइकल चालू हो जाये और मैं पेट्रोल पंप तक पहुँच जाऊँ। भगवान से ऐसे प्रार्थना करने के बाद मैंने मोटरसाइकिल को किक मार कर चालू करने की बहुत कोशिश किया लेकिन मोटरसाइकल चालू नहीं हुई। और फिर मैंने ये मान लिया की पेट्रोल ख़त्म हो चूका है मोटरसाइकल ऐसे नहीं चलने वाली।  आखिर मुझे चलना तो है ही क्योंकि पेट

व्यवहारिक जीवन और शिक्षा

सुनें 👇 एक दिन दोपहर को अपने काम से थोड़ा ब्रेक लेकर जब मैं अपनी छत की गैलरी में टहल रहा था और धुप सेंक रहा था। अब क्या है की उस दिन ठंडी ज्यादा महसूस हो रही थी। तभी मेरी नज़र आसमान में उड़ती दो पतंगों पर पड़ी। उन पतंगों को देखकर अच्छा लग रहा था। उन पतंगों को देखकर मैं सोच रहा था ,कभी मैं भी जब बच्चा था और गांव में था तो मैं पतंग उड़ाने का शौकीन था। मैंने बहुत पतंगे उड़ाई हैं कभी खरीदकर तो कभी अख़बार से बनाकर। पता नहीं अब वैसे पतंग  उड़ा पाऊँगा की नहीं। गैलरी में खड़ा होना    पतंगों को उड़ते देखते हुए यही सब सोच रहा था। तभी मेरे किराये में रहने वाली एक महिला आयी हाथ में कुछ लेकर कपडे से ढके हुए और मम्मी के बारे में पूछा तो मैंने बताया नीचे होंगी रसोई में। वो नीचे चली गयी और मैं फिर से उन पतंगों की तरफ देखने लगा। मैंने देखा एक पतंग कट गयी और हवा में आज़ाद कहीं गिरने लगी। अगर अभी मैं बच्चा होता तो वो पतंग लूटने के लिए दौड़ पड़ता। उस कटी हुई पतंग को गिरते हुए देखते हुए मुझे अपने बचपन की वो शाम याद आ गई। हाथ में पतंग  मैं अपने गांव के घर के दो तले पर से पतंग उड़ा रहा था वो भी सिलाई वाली रील से। मैंने प

अनुभव पत्र

सुनें 👉 आज मैं बहुत दिनों बाद अपने ऑफिस गया लगभग एक साल बाद इस उम्मीद में की आज मुझे मेरा एक्सपीरियंस लेटर मिल जाएगा। वैसे मै ऑफिस दोबारा कभी नहीं जाना चाहता 😓लेकिन मजबूरी है 😓क्योंकि एक साल हो गए ऑफिस छोड़े हुए😎।नियम के मुताबिक ऑफिस छोड़ने के 45 दिन के बाद  मेरे ईमेल एकाउंट मे एक्सपीरियंस लेटर आ जाना चाहिए था☝। आखिर जिंदगी के पाँच साल उस ऑफिस में दिए हैं एक्सपीरियंस लेटर तो लेना ही चाहिए। मेरा काम वैसे तो सिर्फ 10 मिनट का है लेकिन देखता हूँ कितना समय लगता है😕।  समय  फिर याद आया कुणाल को तो बताना ही भूल गया😥। हमने तय किया था की एक्सपीरियंस लेटर लेने हम साथ में जायेंगे😇  सोचा चलो कोई बात नहीं ऑफिस पहुँच कर उसको फ़ोन कर दूंगा😑। मैं भी कौन सा ये सोच कर निकला था की ऑफिस जाना है एक्सपीरियंस लेटर लेने।आया तो दूसरे काम से था जो हुआ नहीं सोचा चलो ऑफिस में भी चल के देख लेत्ते हैं😊। आखिर आज नहीं जाऊंगा तो कभी तो जाना ही है इससे अच्छा आज ही चल लेते है👌। गाड़ी में पेट्रोल भी कम है उधर रास्ते में एटीएम भी है पैसे भी निकालने है और वापस आते वक़्त पेट्रोल भी भरा लूंगा👍।  ऑफिस जाना  पैसे निकालने