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मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप

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जीवन में बदलते समय के अनुसार न बदलने के कारण ,आज के जीवन की उलझने और भाग दौड़ के कारण कभी कभी हमसे कुछ ऐसा हो जाता है  की उसे याद करने पर शर्म भी आती है और बहुत हँसी भी आती है। मेरे साथ भी एक ऐसी ही घटना हुई है जिसको याद करके मुझे शर्म भी महसूस होता है और हँसी भी आती है। ये घटना २०१७ की है जब मैं एक ऑफिस में काम करता था। मैंने उन्हीं शब्दों का इस्तेमाल किया है जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं जिसके कारण इंग्लिश के कुछ शब्द हिंदी में इस्तेमाल हुए है ताकि जितना हो सके मैं आपको वैसा ही महसूस करा सकूँ जितना मुझे महसूस हो रहा था।  

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
दो लोगों का ग्रुप 

उस दिन दोपहर को मेरा ऑफिस का शिफ्ट शुरू हुए लगभग आधा घंटा हो चुका था। मैं अपने नए ग्रुप लीडर सागर से कुछ डिसकस कर रहा था। तभी मेरा पुराना ग्रुप लीडर हरीश मेरी तरफ आया और मुझसे बोला-" राकेश, मैंने कहा था न कि व्हाट्सएप ग्रुप पर छुट्टी के लिए रिक्वेस्ट मत भेजा करो"।अगर बहुत अर्जेंट है तो मुझे पर्सनली व्हाट्सप्प पर मैसेज किया करो"। हरीश जो कि मेरा पुराना ग्रुप लीडर था और अब दूसरे और नए प्रोसेस मे शिफ्ट कर दिया गया था। मेरे उसके विचार नहीं मिलते थे और हमारे बीच बहुत बहस होती रहती थी। मेरे और हरीश के बहस के किस्से पूरे फ्लोर पर मशहूर थे। इतने मशहूर थे कि सबको नए अपडेट का इंतज़ार रहता था। सीधी तरह से कहूं तो मेरी और उसकी बनती नहीं थी। लेकिन अभी वो पूरी तरह से दूसरे प्रोसेस में शिफ्ट नहीं हुआ था।मुझे छुट्टी के लिए हमेशा उसको ही रिक्वेस्ट भेजना पड़ता था।

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
दफ्तर में बातचीत 

इतने समय से एक साथ काम करते हुए और एक  दूसरे से बहस करते हुए हम दोनों के बीच दोस्ती की भावना आ चुकी थी। हमारे बीच एक तरह का अपनापन शुरू चूका था जिसके कारण हमारे बीच  समस्याएँ  लगभग खत्म हो रही थीं। लेकिन बाकि सबके लिए हम एक दूसरे के विरोधी ही थे। तो अब उस दिन पर आता हूँ जब हरीश ने कहा की अगर बहुत जरुरी है तो मुझे व्हाट्सप्प पर पर्सनली मैसेज भेजा करो। मैंने बोला- हाँ, तो मैंने  ग्रुप पर मैसेज नहीं किया। मैंने तो पर्सनली मैसेज किया है।" सागर भी हमारी बातें सुन रहा था। हरीश ने हँसते हुए सागर को बताया -"पता है इसने सिर्फ मेरा और अपना एक ग्रुप बना रखा है"। खैर मैंने उसकी बातों पर इतना ध्यान नहीं दिया और अपनी जगह पर बैठकर अपना टारगेट पूरा करने लगा

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
दफ्तर में काम 

मेरे बाजु में मेघना और प्रयागि बैठी थी जिनसे मेरी अच्छी दोस्ती थी। मेरे पीछे वाली जगह पर ओमराज बैठा था वो भी मेरे खास दोस्तों में से एक था। मेघना और प्रयागि से थोड़ा बात करने के बाद मैं टारगेट पूरा करने में लग गया। उधर हरीश और सागर आपस मे बात करते हुए हँसे जा रहे थे शायद मेरे ही बारे में बात कर रहे थे। थोड़ी देर बाद सागर ने ओमराज  को बुलाया और हँसते हुए उसे कुछ बताया। 

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
कुछ सुनके हँसना 

उसके बाद ओमराज हँसते हुए आया और मेघना और प्रयागि से मेरी तरफ इशारा करते हुए बोला - "पता है! इसने क्या नया कांड किया है!" मैं उसकी तरफ आश्चर्य से देखने लगा कि क्या हुआ और उन दोनों को भी आश्चर्य हुआ । फिर ओमराज  ने बताया कि इसने अपना और हरीश का ग्रुप बनाया हुआ है। मेघना ने हँसते हुए कहा -"तो क्या हुआ !इसमें कौन सी बड़ी बात है?"। फिर ओमराज बोला-"लेकिन सिर्फ दो लोगों का ग्रुप कौन बनाता है!" उसके इतना कहते ही वो लोग और ओमराज बुरी तरह हँसने लगे और मैं भी हँसने लगा।

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
बहुत ज्यादा हँसना 

मुझे उसी समय अहसास हुआ की मैंने दो लोगों का ग्रुप बना रखा है वो भी हरीश के साथ जिसके और मेरे आर्गुमेंट के किस्से पूरे फ्लोर पर मशहूर हैं। सब यहाँ तक कहते थे की ये दोनों मियाँ बीबी की तरह लड़ते रहते हैं। फिर भी मैंने अपना साइड जस्टिफाई करने की कोशिश किया और अपना पक्ष रखा कि मुझे मालूम नहीं था मैंने अनजाने में ही ग्रुप बना दिया था (हालांकि बाद में सबने ये भी कहा की हाँ भाई गलती तेरी नहीं थी व्हाट्सऐप की थी) मेघना ने हँसते हुए पुछा- "आप वो ग्रुप में करते क्या थे"? मैंने कहा-"छुट्टियों के रिक्वेस्ट भेजता था"। सभी बुरी तरह हंस रहे थे किसी की हंसी ही नहीं रुक रही थी। मुझे समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या बोलूं और क्या करूँ। फिर भी मैं अपने आप को जस्टिफाई कर रहा था मैं हँसी रोकते हुए बोला की उसे मुझे बताना चाहिए था। ये बात फैलाने की क्या जरुरत थी? वो लोग और हँसने लगे। 

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
बेकाबू हँसी 

इतने में सागर आया मेरे पास। सब चुप हो गए। सबको लगा अब ये इसको बहुत बातें सुनायेगा। मुझे भी लगा अब ये मुझे सही गलत के ऊपर भाषण देगा। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मेरी तरफ देखने लगा। मै भी अपनी हँसी कंट्रोल करके उसकी तरफ देखने लगा लेकिन मै मेरी मुस्कराहट और चेहरे पर शर्म को नहीं रोक पा रहा था। वो भी अपनी हँसी नहीं रोक पाया और हँसते हुए अपनी जगह पर भाग गया। उसके बाद बाकि लोग भी और ज्यादा हँसने लगे और मैं भी टेबल पर सर रख कर हँसने लगा। इतने में मेघना ने पुछा-" रो रहे हो क्या"? मैंने हँसते हुए सर उठा कर कहा- "नहीं! लेकिन ये क्या हो गया"!

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
मुस्कुराते चेहरे 

फिर प्रयागि ने कहा की वो ग्रुप डिलीट कर दो। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं कुछ भी बोल दे रहा था मैंने कहा -"वो ग्रुप एक साल पुराना है उसमें एक साल की यादें हैं। मेरे ये कहते ही वो सब फिर से हँसने लगे। फिर प्रयागि बोली-"इसमें पुरानी यादों वाली क्या बात है, जल्दी डिलीट कर दो नहीं तो और मजाक बनेगा"। उसने हँसते हुए फिर पुछा- अच्छा, ये बताओ ग्रुप का नाम क्या रखा है? मैंने ऐसे ही बोल दिया-" ग्रुप का नाम नहीं है"। फिर वो बोली -"अच्छा,ग्रुप बना लिया और नाम नहीं पता ऐसा नहीं होता"। फिर मैंने बताया- "हाँ, याद आया ग्रुप का नाम है "हाय हरीश" और साथ मे स्माइल फेस भी है"। ये बताने के बाद तो सब लोग और भी ज्यादा हँसने लगे। हँसते हँसते सबकी हालत खराब हो रही थी लेकिन किसी की हँसी नहीं रुक रही थी। मेघना का तो जबड़ा ही दुखने लगा था। और अगर थोड़ी हँसी कंट्रोल हो भी रही थी तो मेरी तरफ देखकर दुबारा चालू हो जा रही थी।

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
मुस्कुराता चेहरा 

प्रयागि ने कहा- "आपने जानबूझ कर ऐसा किया न ? आपकी उससे बनती नहीं है इसलिए। मैंने कहा- "नहीं ,ऐसा नहीं है। मुझे भी आज ही पता चला है की मैंने ग्रुप बना रखा है और वो भी एक साल से ये ग्रुप चल भी रहा है। उसने मुझे एक बार भी नहीं बताया। एक बार पूछ तो लेता की तुमने ये ग्रुप क्यों बनाया है। मुझे तो लगता है उसे भी कल समझ में आया है"। ये सब सुनकर सब लोग हँसते रहे और हँसते हँसते उस दिन सबकी हालत ख़राब हो गयी। मुझे अपने ऊपर हँसी भी आ रही थी और शर्म भी आ रही थी की मैंने ये क्या कर दिया। हरीश का भी क्या कहना उसने मुझसे एक बार भी नहीं पूछा और ऊपर से ये बात भी फैला दिया कि मैंने उसका ग्रुप दो बार छोड़ा और उसने दोनों बार फिर से ऐड कर लिया।

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
सोचते हुए मुस्कुराना 

ये जो भी हुआ इसका एक कारण था। वो ये था की मैं अपनी लाइफ में बदलते समय के अनुसार अपडेट नहीं था। मुझे नयी नयी जॉब मिली थी। अपनी सैलरी से मैंने पहली बार स्मार्टफोन लिया था और इस्तेमाल करना चालू किया था। पहले मेरे पास स्मार्टफोन नहीं था। स्मार्टफोन न होने की वजह से मुझे व्हाटसअप और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की जानकारी नहीं थी। जब मैंने पहली बार व्हाटसअप यूज़ किया तब मुझे बहुत कन्फ्यूज़न हो रहा था। इसी कन्फ्यूज़न मे मुझसे दो लोगों का व्हाट्सएप ग्रुप बन गया था।इसलिए समय के साथ अपडेट रहना भी बहुत जरुरी है।

वैसे तो मैं सादे तरीके से रहना पसंद करता हूँ लेकिन अब ये भी समझ मे आता है की हमें बदलते समय के साथ सामंजस्य भी रखना चाहिए और नयी चीज़ों के बारे में जानकारी भी रखनी चाहिए जिससे की कोई ऐसी घटना न हो जैसे की मेरे साथ हुई।वो ग्रुप मेरी ज़िन्दगी का पहला व्हाट्सअप ग्रुप था जो मैंने खुद बनाया था। और इस ग्रुप की वजह से मैं अपने ग्रुप लीडर का एडमिन था। मेरे साथ जो हुआ वो सुनकर तो हँसी आती है लेकिन ये जरुरी नहीं है कि सबके साथ हँसने वाली ही घटना हो। 

मेरा पहला व्हाट्सएप ग्रुप
बात करते हुए हँसना 

वैसे एक बात तो है जहाँ आजकल कभी महामारी, कभी महँगाई ,कभी बेरोज़गारी, कभी पारिवारिक तो कभी सामाजिक समस्या से जूझ रहे लोगों को इस तरह की घटना पढ़ने और सुनने से एक खुशी जरूर मिलती है। थोड़ी देर के लिए ही सही, लोग अपना तनाव भूल जाते हैं। मुझे अपने साथ घटी इस घटना को याद करके आज भी बहुत हँसी आती है उम्मीद करता हूँ आप को इसे पढ़कर बहुत मज़ा आया होगा। 

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