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Showing posts from March, 2024

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Employment, migration and disintegrating relationships

Listen - College days were over. I had accumulated many degrees one after the other. And what to say about  job? I had filled a lot of forms, given a lot of exams, had given interviews many times, but I was not able to get a job. In those days, the only thing going on in my life was fill the forms, prepare and go to different places and give exams or go to many places and give direct interviews. Listen to the taunts of my family members in between. If any boy or girl from my neighborhood gets engaged in a good job, especially a government job, then listen to his/her taunts separately. It seemed that the only goal of life was job, job and job. All my good qualities had failed in front of that, no character certificate in the world could improve my image. It would not be wrong to say that according to the circumstances of those days, "If you get a job then everyone should call you with love, otherwise whatever happens, we all will be seen as a burden." This incident which I am

रोजगार ,पलायन और बिखरते रिश्ते

सुनें - कॉलेज के दिन ख़त्म हो चुके थे। एक के बाद एक मेरे पास कई डिग्रीयां इकटठी हो चुकी थी। और नौकरी उसका क्या कहना। ढेरों सारे फार्म भर चूका था ,ढेर सारे एग्जाम दे चूका था ,कई बार इंटरव्यू दे चूका था पर नौकरी थी की कहीं मिल ही नहीं रही थी। उन दिनों मेरी जिंदगी में बस यही चल रहा था फॉर्म भरो ,तैयारी करो और अलग अलग जगहों पर जाकर एग्जाम दो या कई जगहों पर जाकर डायरेक्ट इंटरव्यू दो। बीच बीच में घरवालों के ताने भी सुनो। अगर कोई आसपास का लड़का या लड़की किसी अच्छी नौकरी में लग जाये खासकर सरकारी नौकरी में तो उसके अलग से ताने सुनो। ऐसा लगता था की जीवन का एकमात्र लक्ष्य ही यही है नौकरी ,नौकरी और नौकरी उसके आगे मेरी सारी अच्छाइयाँ फेल थी, दुनियाँ का कोई भी करैक्टर सर्टिफिकेट मेरी इमेज नहीं सुधार सकता था। ये कहना भी गलत नहीं होगा उन दिनों के हालातों के अनुसार की "अगर नौकरी मिल जाये तो हर कोई प्यार से पास बुलाये ,नहीं तो कुछ भी हो हम सब को बोझ ही नज़र आएं " ये घटना जो मैं बताने जा रहा हूँ ये भी उन्ही दिनों की है। जिसको जानने और समझने के बाद आप भी कुछ बातों पर चिंतन और सोचने पर मजबूर हो जायेंग

भारतीय उपभोक्ता इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों को क्यों अपना रहे हैं ?

सुनें - दोस्तों जैसा की हम सब जानते भी हैं और समझते भी हैं की बदलाव इस दुनिया का एक कभी ना टलने वाला नियम है और ये समय के अनुसार और जरूरत के अनुसार होता रहेगा। अगर बात बाइक की हो तो जिस तरह से प्रदुषण की समस्या, पेट्रोल डीज़ल के लगातार बढ़ते दाम की समस्या हो रही है। ऐसे में जरुरत और समय की जो मांग समझ में आ रही है वो है इलेक्ट्रिक बाइक की। सीधी सी बात है की जिस तरह से पेट्रोल और डीज़ल के भाव बढ़ रहे हैं और उसका लोगों के बजट पर जिस तरह से असर पड़ रहा है ऐसे में लोग किसी दूसरे विकल्प के बारे में सोचेंगे और अपनाना पसंद करेंगे जो की पहले वाले से बेहतर हो। आज की इन्ही समस्याओं के कारण लोगों के इलेक्ट्रिक बाइक को अपनाने की सम्भावना अत्यधिक है।  तो चलिए समझते हैं उन कारणों को की भारतीय उपभोक्ता इलेक्ट्रिक वाहनों को क्यों अपना रहे हैं - १ बैटरी प्रदर्शन - बैटरी का अच्छा प्रदर्शन इलेक्ट्रिक वाहनों की एक बहुत ही महत्वपूर्ण खासियत है जो की इसे पेट्रोल और डीज़ल वाले वाहनों से अलग और खास बनाता है। एक अच्छा इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरी एक बार चार्ज करने पर लगभग ७५ से लेकर १०० किलोमीटर तक की दुरी तय करता है। अ

Why are Indian consumers adopting electric two-wheelers?

Indian consumers embrace of two wheelers Listen  Friends, as we all know and understand that change is an inevitable rule of this world and it will keep happening as per time and need. If we talk about bikes, then the problem of pollution and continuously increasing prices of petrol and diesel is becoming a problem. In such a situation, the need and demand of time that is understandable is that of electric bike. The simple thing is that the way the prices of petrol and diesel are increasing and the way it is affecting people's budget, people will think about some other option and prefer to adopt it which is better than the first one. . Due to these problems today, people are more likely to adopt electric bikes. So let us understand the reasons why Indian consumers are adopting electric vehicles - 1 Battery Performance – Good battery performance is a very important feature of electric vehicles which makes it different and special from petrol and diesel vehicles. The battery of a go

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वह दिन - एक सच्चा अनुभव

 सुनें 👇 उस दिन मेरे भाई ने दुकान से फ़ोन किया की वह अपना बैग घर में भूल गया है ,जल्दी से वह बैग दुकान पहुँचा दो । मैं उसका बैग लेकर घर से मोटरसाईकल पर दुकान की तरफ निकला। अभी आधी दुरी भी पार नहीं हुआ था की मोटरसाइकल की गति अपने आप धीरे होने लगी और  थोड़ी देर में मोटरसाइकिल बंद हो गयी। मैंने चेक किया तो पाया की मोटरसाइकल का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। मैंने सोचा ये कैसे हो गया ! अभी कल तो ज्यादा पेट्रोल था ,किसी ने निकाल लिया क्या ! या फिर किसी ने इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया होगा। मुझे एक बार घर से निकलते समय देख लेना चाहिए था। अब क्या करूँ ? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ?  मोटरसाइकिल चलाना  ऐसे समय पर भगवान की याद आ ही जाती है। मैंने भी मन ही मन भगवान को याद किया और कहा हे भगवान कैसे भी ये मोटरसाइकल चालू हो जाये और मैं पेट्रोल पंप तक पहुँच जाऊँ। भगवान से ऐसे प्रार्थना करने के बाद मैंने मोटरसाइकिल को किक मार कर चालू करने की बहुत कोशिश किया लेकिन मोटरसाइकल चालू नहीं हुई। और फिर मैंने ये मान लिया की पेट्रोल ख़त्म हो चूका है मोटरसाइकल ऐसे नहीं चलने वाली।  आखिर मुझे चलना तो है ही क्योंकि पेट

व्यवहारिक जीवन और शिक्षा

सुनें 👇 एक दिन दोपहर को अपने काम से थोड़ा ब्रेक लेकर जब मैं अपनी छत की गैलरी में टहल रहा था और धुप सेंक रहा था। अब क्या है की उस दिन ठंडी ज्यादा महसूस हो रही थी। तभी मेरी नज़र आसमान में उड़ती दो पतंगों पर पड़ी। उन पतंगों को देखकर अच्छा लग रहा था। उन पतंगों को देखकर मैं सोच रहा था ,कभी मैं भी जब बच्चा था और गांव में था तो मैं पतंग उड़ाने का शौकीन था। मैंने बहुत पतंगे उड़ाई हैं कभी खरीदकर तो कभी अख़बार से बनाकर। पता नहीं अब वैसे पतंग  उड़ा पाऊँगा की नहीं। गैलरी में खड़ा होना    पतंगों को उड़ते देखते हुए यही सब सोच रहा था। तभी मेरे किराये में रहने वाली एक महिला आयी हाथ में कुछ लेकर कपडे से ढके हुए और मम्मी के बारे में पूछा तो मैंने बताया नीचे होंगी रसोई में। वो नीचे चली गयी और मैं फिर से उन पतंगों की तरफ देखने लगा। मैंने देखा एक पतंग कट गयी और हवा में आज़ाद कहीं गिरने लगी। अगर अभी मैं बच्चा होता तो वो पतंग लूटने के लिए दौड़ पड़ता। उस कटी हुई पतंग को गिरते हुए देखते हुए मुझे अपने बचपन की वो शाम याद आ गई। हाथ में पतंग  मैं अपने गांव के घर के दो तले पर से पतंग उड़ा रहा था वो भी सिलाई वाली रील से। मैंने प

अनुभव पत्र

सुनें 👉 आज मैं बहुत दिनों बाद अपने ऑफिस गया लगभग एक साल बाद इस उम्मीद में की आज मुझे मेरा एक्सपीरियंस लेटर मिल जाएगा। वैसे मै ऑफिस दोबारा कभी नहीं जाना चाहता 😓लेकिन मजबूरी है 😓क्योंकि एक साल हो गए ऑफिस छोड़े हुए😎।नियम के मुताबिक ऑफिस छोड़ने के 45 दिन के बाद  मेरे ईमेल एकाउंट मे एक्सपीरियंस लेटर आ जाना चाहिए था☝। आखिर जिंदगी के पाँच साल उस ऑफिस में दिए हैं एक्सपीरियंस लेटर तो लेना ही चाहिए। मेरा काम वैसे तो सिर्फ 10 मिनट का है लेकिन देखता हूँ कितना समय लगता है😕।  समय  फिर याद आया कुणाल को तो बताना ही भूल गया😥। हमने तय किया था की एक्सपीरियंस लेटर लेने हम साथ में जायेंगे😇  सोचा चलो कोई बात नहीं ऑफिस पहुँच कर उसको फ़ोन कर दूंगा😑। मैं भी कौन सा ये सोच कर निकला था की ऑफिस जाना है एक्सपीरियंस लेटर लेने।आया तो दूसरे काम से था जो हुआ नहीं सोचा चलो ऑफिस में भी चल के देख लेत्ते हैं😊। आखिर आज नहीं जाऊंगा तो कभी तो जाना ही है इससे अच्छा आज ही चल लेते है👌। गाड़ी में पेट्रोल भी कम है उधर रास्ते में एटीएम भी है पैसे भी निकालने है और वापस आते वक़्त पेट्रोल भी भरा लूंगा👍।  ऑफिस जाना  पैसे निकालने