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Showing posts from March, 2023

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Old Memories and Heal Power

Does the past have no importance in our life? If anyone is listened to, especially motivational speakers, they definitely say that sometime forget the past and live in today and move forward in life. . But in reality it is not so. The past is just like a computer file which can never be erased from the computer's memory. That file can either be hidden or forgotten for some time but cannot be completely deleted. Our past and the memories related to it come in front of us at some point or the other. Some memories make us feel good and some memories make us feel regret and bad .While thinking this, I got this dialogue from a Hindi film That I remember my country sometimes as a pain and sometimes as a medicine. One evening when I reached the railway station to drop off my family members, seeing the view of that evening reminded me of an evening a few years ago. Although it was winter season, but that evening was feeling like summer season. And that evening which I was remembering was a

पुरानी यादें और हील पावर

सुनें 👇 क्या बीते हुए कल का हमारे जीवन में कोई महत्व नहीं होता है ?अगर किसी की भी बात सुनी जाये खासकर प्रेरक वक्ताओं की तो वो ये जरूर कहते हैं कभी ना कभी की बीते हुए कल को भूल जाओ और आज में जिओ और जीवन में आगे बढ़ो। लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। बीता हुआ कल बिलकुल वैसे ही होता है जैसे किसी कंप्यूटर की कोई ऐसी फाइल हो जो कभी कंप्यूटर के मेमोरी से मिटाई नहीं जा सकती है। उस फाइल को या तो छुपाया जा सकता है या कुछ समय के लिए भुला जा सकता है लेकिन एकदम से मिटाया नहीं जा सकता है। हमारा बीता हुआ कल और उससे जुड़ी यादें कभी ना कभी ,किसी ना किसी बहाने से हमारे सामने आ ही जाती हैं। कुछ यादें हमें अच्छा महसूस कराती हैं और कुछ यादें अफ़सोस और बुरा भी महसूस कराती हैं। ये सोचते समय किसी हिंदी फिल्म का मुझे ये डॉयलाग याद आता है की मुझे अपना वतन याद आता है कभी दर्द बनकर और कभी दवा बनकर।  एक शाम जब मैं अपने परिवार के लोगों को छोड़ने रेलवे स्टेशन पहुँचा तो उस शाम का नजारा देखकर मुझे कुछ साल पहले की एक शाम याद आ गयी। वैसे तो सर्दी का मौसम था लेकिन वो शाम गर्मी के मौसम जैसा महसूस हो रहा था। और वो शाम  जिसकी मु

Be free

Click here for Hindi version Just walking today in a light breeze staring at the moving leaves Amidst the noise of the crowd and the passing vehicles You can also watch this video -👉  Be free poem with my loneliness Say the confusions of this world or Tell the fools of this world or say something else It occurred to me that why not be free There are some fetters tied in the mind since childhood If breaking them is a waste then so be it why don't i get wasted Mind says live happily, live freely with this in mind why not go in the flow of happiness Enough of mental slavery to the rules of the world why not be free now If it is foolish to be happy forever, then foolishness is right. Why don't I be filled with happiness by ignorance why not be free now the past haunts tomorrow scares By luring the hope that the coming moment will be good makes restless Sometimes the mind and sometimes the body are driven away by blind music. It neither lets you sleep peacefully nor warns on time B

आजाद हो जाऊँ

Click here for English version आज यूँ ही पैदल चलते चलते  हलकी हलकी हवा में हिलते हुए पत्तों को निहारते निहारते  भीड़ भाड़ और आती जाती गाड़ियों के शोर के बीच  अपने अकेलेपन के साथ  इस दुनिया की उलझनों को कह लीजिये या  इस दुनिया की बेवकूफियों को कह लीजिये या   कुछ और कह लीजिये को देखते समझते  मन में ये ख्याल आया है की  क्यों ना आज़ाद हो जाऊँ  आप यह वीडियो भी देख सकते हैं 👇 आजाद हो जाऊँ वीडियो बचपन से ही दिमाग में बाँधी हुई कुछ बेड़ियाँ हैं  उन्हें तोड़ना अगर बरबादी है तो यही सही  क्यों ना मैं बरबाद हो जाऊँ  मन कहता है खुशी से जिओ ,खुल कर जिओ  मन की इस बात को मानकर  क्यों ना खुशियों की धारा में बह जाऊँ  बहुत हो गयी दुनिया के नियमों की मानसिक गुलामी  क्यों ना अब आजाद हो जाऊँ  अगर हमेसा खुश रहना नादानी है तो नादानी ही सही  क्यों ना नादानी करके खुशियों से आबाद हो जाऊँ  क्यों ना अब आजाद हो जाऊँ  बीता हुआ कल सताता है  आने वाला कल डराता है  आने वाला पल अच्छा होगा ये उम्मीद का लालच देकर  बेचैन करता है  कभी मन को तो कभी तन को अंधाधुन भगाता है  ना तो ये चैन से सोने देता है और ना ही समय पर चेताता है  बीत

It was Holi day

Sometimes the obstacles that come in the way and the changes that come from those obstacles make our life happy. The same thing happened to me that day, which made me realize that sometimes those whom we consider as obstacles, come as solutions for us. You will understand by reading this story of mine that how it can be possible. This is my story of that day when everyone in my locality had a holiday because that day was Holi festival but my college did not have a holiday and when I got ready to go When I came out for this, something happened that I got a solution to my problem and that day became a memorable day for me. Now I will come to that day. I was not feeling well but what if going to college was also very important and the college staff was very strict in this matter. Couldn't take leave just like that and certainly not because of the festival. But my neighborhood friends were ready to paint me. And I was waiting for the opportunity when those people would be here and ther

वो होली का दिन था

सुनें 👇 कभी कभी रास्ते में आने वाली बाधाएँ और उन बाधाओं से होने वाले बदलाव हमारे जीवन को खुशनुमा बना देते हैं। उस दिन मेरे साथ भी ऐसा हुआ जिससे मुझे ये एहसास हुआ की कभी कभी जिन्हें हम बाधाएँ समझते हैं वो हमारे लिए उपाय बन कर आती हैं। आप मेरा ये किस्सा पढ़कर समझेंगे की ये कैसे मुमकिन हो सकता है।ये मेरे उस दिन का किस्सा है जब मेरे मुहल्ले में सभी की छुट्टी थी क्योंकि उस दिन होली का त्योहार था लेकिन मेरे कॉलेज की छुट्टी नहीं थी और जब मैं तैयार होकर जाने के लिए बाहर निकला तो कुछ ऐसा हो गया की मुझे मेरे समस्या का हल भी मिल गया और वो दिन मेरे लिए एक यादगार दिन बन गया।  अब उस दिन पर आता हूँ। मुझे अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन क्या करता कॉलेज जाना भी बहुत जरुरी था और कॉलेज का स्टाफ इस मामले में बहुत ही स्ट्रिक्ट था। ऐसे ही छुट्टी नहीं ले सकता था और त्यौहार की वजह से तो बिलकुल भी नहीं। लेकिन मेरे मोहल्ले के दोस्त मुझे रंगने के तैयार थे। और मैं मौके के इंतज़ार में था की कब वो लोग इधर उधर हो जाएँ और मैं कॉलेज के लिए निकल जाऊँ। वैसे आसपास का माहौल देखकर मुझे भी मन हो रहा था होली मनाने का लेकिन क्या कर

Truth can be troubled but not defeated

That day when I sat on my bike and left for home upset from college. I was riding a motorcycle but my mind was entangled in the tangle of problems. The sunlight was slowly decreasing. The day was waning and it was getting evening. In a lot of traffic and noise, my eyes fell on the bus running ahead of me, behind which was written "Truth can be troubled but not defeated". Now why I saw this line at the same time, I don't know whether it was seen by God's will or luck. This line was always visible on one vehicle or the other whenever I roamed around troubled in this city. Sometimes this line was visible while coming and going even when I was not disturbed. Even after trying a lot, I was not able to join the army. Seeing my hard work and dedication, my friends and people around me also felt that I would definitely succeed in becoming an officer in the army. I had more faith in myself than them that I would definitely succeed and I had left no stone unturned in my prepara

सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं

सुनें 👇 उस दिन जब मैं कॉलेज से परेशान होकर अपनी मोटरसाइकिल पर बैठकर घर के लिए निकला। मैं चला तो मोटरसाइकिल रहा था लेकिन दिमाग परेशानियों के उलझन में उलझा हुआ था। सूरज की रोशनी धीरे धीरे कम हो रही थी। दिन ढल रहा था और शाम हो रही थी। ढेर सारी ट्रैफिक और शोर - शराबे में मेरी नज़र मेरे से आगे चल रही बस पर पड़ी जिसके पीछे लिखा था "सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं " . अब ये लाइन मुझे उसी समय क्यों दिखी भगवान की मर्ज़ी से दिखी या किस्मत से दिखी पता नहीं। जब भी इस शहर में परेशान घुमा तब किसी ना किसी वाहन पर ये लाइन दिख ही जाती थी। कभी कभी परेशान नहीं होने पर भी आते जाते ये लाइन दिख ही जाती थी।  परेशान होता भी क्यों ना बहुत कोशिश करने के बाद भी मैं सेना में भर्ती नहीं हो पाया था। मेरी मेहनत और समपर्ण देख कर मेरे दोस्तों और मेरे आसपास के लोगों को भी लगता था की मैं सेना में अफसर बनने में जरूर कामयाब हो जाऊंगा। उनसे ज्यादा मुझे खुद पर भरोसा था की मैं जरूर कामयाब होऊंगा और मैंने तैयारी करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ा था। मैंने हर तरह से मेहनत किया था चाहे वो शारीरिक हो या मानसिक लेकिन मेरे

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वह दिन - एक सच्चा अनुभव

 सुनें 👇 उस दिन मेरे भाई ने दुकान से फ़ोन किया की वह अपना बैग घर में भूल गया है ,जल्दी से वह बैग दुकान पहुँचा दो । मैं उसका बैग लेकर घर से मोटरसाईकल पर दुकान की तरफ निकला। अभी आधी दुरी भी पार नहीं हुआ था की मोटरसाइकल की गति अपने आप धीरे होने लगी और  थोड़ी देर में मोटरसाइकिल बंद हो गयी। मैंने चेक किया तो पाया की मोटरसाइकल का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। मैंने सोचा ये कैसे हो गया ! अभी कल तो ज्यादा पेट्रोल था ,किसी ने निकाल लिया क्या ! या फिर किसी ने इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया होगा। मुझे एक बार घर से निकलते समय देख लेना चाहिए था। अब क्या करूँ ? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ?  मोटरसाइकिल चलाना  ऐसे समय पर भगवान की याद आ ही जाती है। मैंने भी मन ही मन भगवान को याद किया और कहा हे भगवान कैसे भी ये मोटरसाइकल चालू हो जाये और मैं पेट्रोल पंप तक पहुँच जाऊँ। भगवान से ऐसे प्रार्थना करने के बाद मैंने मोटरसाइकिल को किक मार कर चालू करने की बहुत कोशिश किया लेकिन मोटरसाइकल चालू नहीं हुई। और फिर मैंने ये मान लिया की पेट्रोल ख़त्म हो चूका है मोटरसाइकल ऐसे नहीं चलने वाली।  आखिर मुझे चलना तो है ही क्योंकि पेट

व्यवहारिक जीवन और शिक्षा

सुनें 👇 एक दिन दोपहर को अपने काम से थोड़ा ब्रेक लेकर जब मैं अपनी छत की गैलरी में टहल रहा था और धुप सेंक रहा था। अब क्या है की उस दिन ठंडी ज्यादा महसूस हो रही थी। तभी मेरी नज़र आसमान में उड़ती दो पतंगों पर पड़ी। उन पतंगों को देखकर अच्छा लग रहा था। उन पतंगों को देखकर मैं सोच रहा था ,कभी मैं भी जब बच्चा था और गांव में था तो मैं पतंग उड़ाने का शौकीन था। मैंने बहुत पतंगे उड़ाई हैं कभी खरीदकर तो कभी अख़बार से बनाकर। पता नहीं अब वैसे पतंग  उड़ा पाऊँगा की नहीं। गैलरी में खड़ा होना    पतंगों को उड़ते देखते हुए यही सब सोच रहा था। तभी मेरे किराये में रहने वाली एक महिला आयी हाथ में कुछ लेकर कपडे से ढके हुए और मम्मी के बारे में पूछा तो मैंने बताया नीचे होंगी रसोई में। वो नीचे चली गयी और मैं फिर से उन पतंगों की तरफ देखने लगा। मैंने देखा एक पतंग कट गयी और हवा में आज़ाद कहीं गिरने लगी। अगर अभी मैं बच्चा होता तो वो पतंग लूटने के लिए दौड़ पड़ता। उस कटी हुई पतंग को गिरते हुए देखते हुए मुझे अपने बचपन की वो शाम याद आ गई। हाथ में पतंग  मैं अपने गांव के घर के दो तले पर से पतंग उड़ा रहा था वो भी सिलाई वाली रील से। मैंने प

अनुभव पत्र

सुनें 👉 आज मैं बहुत दिनों बाद अपने ऑफिस गया लगभग एक साल बाद इस उम्मीद में की आज मुझे मेरा एक्सपीरियंस लेटर मिल जाएगा। वैसे मै ऑफिस दोबारा कभी नहीं जाना चाहता 😓लेकिन मजबूरी है 😓क्योंकि एक साल हो गए ऑफिस छोड़े हुए😎।नियम के मुताबिक ऑफिस छोड़ने के 45 दिन के बाद  मेरे ईमेल एकाउंट मे एक्सपीरियंस लेटर आ जाना चाहिए था☝। आखिर जिंदगी के पाँच साल उस ऑफिस में दिए हैं एक्सपीरियंस लेटर तो लेना ही चाहिए। मेरा काम वैसे तो सिर्फ 10 मिनट का है लेकिन देखता हूँ कितना समय लगता है😕।  समय  फिर याद आया कुणाल को तो बताना ही भूल गया😥। हमने तय किया था की एक्सपीरियंस लेटर लेने हम साथ में जायेंगे😇  सोचा चलो कोई बात नहीं ऑफिस पहुँच कर उसको फ़ोन कर दूंगा😑। मैं भी कौन सा ये सोच कर निकला था की ऑफिस जाना है एक्सपीरियंस लेटर लेने।आया तो दूसरे काम से था जो हुआ नहीं सोचा चलो ऑफिस में भी चल के देख लेत्ते हैं😊। आखिर आज नहीं जाऊंगा तो कभी तो जाना ही है इससे अच्छा आज ही चल लेते है👌। गाड़ी में पेट्रोल भी कम है उधर रास्ते में एटीएम भी है पैसे भी निकालने है और वापस आते वक़्त पेट्रोल भी भरा लूंगा👍।  ऑफिस जाना  पैसे निकालने