नींद पूरी होना क्यों जरूरी है ? मेरे अनुभव सुनें 👉 सुबह की ताजगी - आज की सुबह बहुत ही ताज़गी भरी और मस्त लग रही थी। ऊपर टंकी में पानी भर रहा था। पानी चेक करने के बाद मैं छत पर ही टहलने लगा और इधर उधर देखने लगा। सुबह की ठंडी हवा ,सुहाना मौसम , छत से थोड़ी दूर खाली सड़क ,सड़क के किनारे पेड़ पौधे ,उड़ते हुए पंछी और दूर तक फैले हुए पहाड़ बहुत ही अच्छा महसूस करा रहे थे। अच्छा इसलिए भी लग रहा था की मैं करीब दो हफ्ते के बाद सुबह जल्दी उठा हूँ। करीब दो हफ्ते पहले तक मैं सुबह जल्दी उठ जाता था और योग करने के और दूर तक दौड़ने के साथ मेरे दिन की शुरु वात हो जाती थी। लेकिन कुछ समय से नियम बदल गया है। सब कुछ उलटा हो गया है पहले रात को जल्दी सोता था और सुबह जल्दी उठता था लेकिन अब रात को देर तक जागने लगा हूँ और सुबह देर तक सोने लगा हूँ। ऐसा नहीं है की अभी भी मैं सुबह जल्दी नहीं उठ सकता। उठ सकता हूँ लेकिन मैं अपने अनुभव के आधार पर ये जान चूका हूँ की सुबह जल्दी उठने के लिए रात को जल्दी सोना और अच्छी नींद सोना जरूरी है। लगभग सात आठ घंटे की नींद भी जरूरी है स्वस्थ्य रहने के लिए और दिन भर काम को करने के लिए भी
सुनें 👇 उस दिन मेरे भाई ने दुकान से फ़ोन किया की वह अपना बैग घर में भूल गया है ,जल्दी से वह बैग दुकान पहुँचा दो । मैं उसका बैग लेकर घर से मोटरसाईकल पर दुकान की तरफ निकला। अभी आधी दुरी भी पार नहीं हुआ था की मोटरसाइकल की गति अपने आप धीरे होने लगी और थोड़ी देर में मोटरसाइकिल बंद हो गयी। मैंने चेक किया तो पाया की मोटरसाइकल का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। मैंने सोचा ये कैसे हो गया ! अभी कल तो ज्यादा पेट्रोल था ,किसी ने निकाल लिया क्या ! या फिर किसी ने इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया होगा। मुझे एक बार घर से निकलते समय देख लेना चाहिए था। अब क्या करूँ ? मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है ? मोटरसाइकिल चलाना ऐसे समय पर भगवान की याद आ ही जाती है। मैंने भी मन ही मन भगवान को याद किया और कहा हे भगवान कैसे भी ये मोटरसाइकल चालू हो जाये और मैं पेट्रोल पंप तक पहुँच जाऊँ। भगवान से ऐसे प्रार्थना करने के बाद मैंने मोटरसाइकिल को किक मार कर चालू करने की बहुत कोशिश किया लेकिन मोटरसाइकल चालू नहीं हुई। और फिर मैंने ये मान लिया की पेट्रोल ख़त्म हो चूका है मोटरसाइकल ऐसे नहीं चलने वाली। आखिर मुझे चलना तो है ही क्योंकि पेट