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अहंकार और समय का खेल

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हम सबने अपने जीवन में कुछ किस्से सुने हैं। उनमें कुछ सही होते हैं ,कुछ काल्पनिक होते हैं ,कुछ किस्से बहुत मज़ेदार होते हैं और उनको सुनने या पढ़ने से मनोरंजन के साथ साथ कुछ न कुछ सिखने को भी मिलता है खासकर नैतिक मूल्यों के बारे में जैसे की ये कहानी जो मैंने कहीं पढ़ी थी।  

एक बार एक राजा अपने सेवक के साथ घुड़सवारी करते हुए जंगल के घने हिस्से में पहुँच गए। वहां राजा का घोड़ा अचानक लड़खड़ाकर गिर पड़ा और मर गया। राजा के सामने राजमहल लौटने की समस्या हो गयी। राजा को परेशान देखकर सेवक ने सुझाव दिया ,"महाराज ,कृपया आप मेरे घोड़े पर बैठ जाएं।हम दोनों साथ साथ घोड़े पर बैठ कर चलते हैं😇। "

पर राजा को इसमें अपना अपमान महसूस हुआ और राजा ने उसके घोड़े पर बैठने से मना कर दिया।

सेवक राजा के मन की बात समझ गया😊। उसने राजा से कहा की आप मेरे घोड़े पर चले जाइए ,मैं पैदल चलकर आ जाऊंगा। 😊। " राजा सेवक के घोड़े पर बैठ कर चल दिए। सेवक पैदल चलने लगा। 

अहंकार और समय का खेल
राजा 

धीरे धीरे सेवक के स्वर्ग सिधारने की खबर चारों ओर फैल गई😧। 

राजा को पता चला तो बहुत दुखी हुए😩। वह भी सेवक की अर्थी को कंधा देने आये। 

जब वो सेवक के पास पहुंचे तब थोड़ी देर में सेवक एकदम उठकर बैठा😮। 

यह देखकर सब हैरान हो गए😲। राजा बहुत गुस्सा हुए। राजा ने कहा,"यह कैसा मजाक है 😠?"

सेवक ने कहा,"महाराज,ये मेरा नहीं,नशे का कसूर है।👈 सत्ता के नशे में आपने मुझे अपने साथ नहीं बिठाया। मैं पैदल चलते चलते थक गया था।और इस खाट पर सो गया था। शराब के नशे में इन लोगो ने मुझे मरा हुआ समझ लिया। पर समय ठीक निर्णय देता है। देखिये, कहां आप मुझे घोड़े पर नहीं बैठने दे रहे थे और कहां अब आप मुझे कंधे पर उठाने के लिए आ गये😎😁।

जब मैंने पहली बार ये कहानी पढ़ी थी उस समय मैं इतना समझदार नहीं था या ये भी कह सकता हूँ की वो समय मुझमे बहुत बचपना था। मैंने ये कहानी पढ़ा था और इसका आनंद लिया और भूल गया। लेकिन अब इस कहानी के बारे में सोचता हूँ तो ये समझ में आता है की ये सिर्फ कहानी नहीं है इसमें कुछ सामाजिक संदेश भी हैं। अगर समझने की कोशिश की जाये तो बेसक ये कहानी पुराने ज़माने की है लेकिन इसमें बताई हुई बाते आज के माहौल में भी सटीक बैठती हैं। 

इस कहानी से ये समझाने की कोशिश की गयी है की समय से बड़ा बलवान कोई नहीं है। समय कब किसको किस मोड़ पर ला दे यह कोई नहीं जानता। आप चाहे जिस पद पर हों , अमीर हो या गरीब हों। पहले हम सब इंसान हैं और इंसान होने के नाते हम सबको बिना किसी भेदभाव के एकदूसरे की मदद करनी चाहिए। 

यह कहानी आज के समय में भी महत्वपूर्ण है। आज राजा - महाराजों का जमाना नहीं है लेकिन हम आज भी पद और क्लास के नाम पर बटें हुए हैं और आपस में एक तरह का अलगाववाद और असमंजस की स्थिति बनी रहती है। 

लेकिन समय तब भी अपना खेल खेलता था और अब भी खेलता है।   

अहंकार और समय का खेल

हमारा आने वाला समय कैसा होगा और लोग हमसे कैसा बरताव करेंगे इसके बारे में पक्का तो कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। लेकिन वर्तमान में हम जिस भी हालत में हों चाहे बहुत अच्छी हालत में हो या बुरी हालत से गुजर रहे हों। हमें कोशिश करते रहना चाहिए की हम सबके साथ अच्छा बरताव करें ,हमारी वजह से किसी को बुरा न लगे , सबकी मदद करने की कोशिश करें ,किसी को कम या ज्यादा ना समझें सबको सामान रूप से आदर दें ताकि समय आने पर हमारे साथ भी अच्छा बरताव हो और हमें ये पछतावा ना हो की हमने बीते दिनों में गलत बरताव किया था। क्योंकि कहा जाता है की समय सबका बदलता है समय कभी एक सा नहीं रहता है। समय किसको ,कब कौन सी हालत में ले आये समय का ये खेल कोई नहीं जानता। 

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