काश, मैं ऐसा कर पाता !

सुनें 👇



इस चारदीवारी के बीच 

दीवार पर टंगी घड़ी की सुई की हलकी खट खट के बीच 

पन्नों के फड़ फड़ के बीच ,खिड़की से

I wish I could do that!(काश, मैं ऐसा कर पाता !)
आती हुई हवा जब मुझे छूती है तो मैं बाहर की तरफ देखता हूँ 

और हवा को महसूस करते हुए सोचता हूँ। 

काश मैं भी तुम्हारे साथ चल पड़ता                                     

I wish I could do that!(काश, मैं ऐसा कर पाता !)

घुंघराले बादलों में खूब मस्ती करता 

उड़ती हुई चिड़ियों के साथ रेस लगाता 

अटकी पतंग को फिर से उड़ाता  

किसी नदी या फिर झरने के पानी को 

हवा में उड़ता हुआ मैं बिलकुल करीब से महसूस करता 

किसी भटके को रास्ता दिखाता 

किसी उदास की उदासी मिटाने के लिए उस पर फूल बरसाता 

मुझे उड़ते देख थोड़ी देर के लिए ताज्जुब से ही सही अपना गम भूल तो जाता 

कभी पेड़ पर चढ़ जाता 

कभी खेतों के ऊपर मंडराता 

कभी खुले आकाश में दूर तक उड़ता चला जाता

काश, मैं ऐसा कर पाता !     

जब मर्जी मैं उड़कर अपने गांव चला जाता 

जब मर्जी मैं उड़कर वापस आ जाता 


फिर सोचा मैंने आखिर इस तरह का ख्याल मुझे क्यों है आता 

जब काम अधिक हो जाता है और पाबंदियाँ बढ़ जाती हैं 

तब मन में बाहर की दुनिया देखने और आज़ादी से जीने की 

ख्वाइश को और बल है मिल जाता 

और फिर ये ख्याल है आता 

काश मैं ऐसा कर पाता                                                

Comments

Popular Posts

वो मुझे ही ढूढ़ रही थी

My first WhatsApp group

Is it necessary to go to gym ?

keep quiet - good or bad

That day - a true experience