राजन ऑफिस में बैठा अपने सीनियर द्वारा दिए हुए काम को पूरा करने में लगा हुआ था। राजन अपने ऑफिस के कमरे में बैठा हुआ कंप्यूटर में अपना काम कर ही रहा था की उसका सीनियर जो की थोड़ी देर के ब्रेक पर गया हुआ था किसी कारण। उसका सीनियर उसके पास आया और बोला की हेड सर आ गए हैं आपको पता चला। राजन ने कहा -"नहीं , सर आ गए हैं क्या ?" सीनियर ने कहा - "हाँ ,और यहाँ ऐसा चलता है की जब सर आते हैं तो पहले जाकर उन्हें अभिवादन करना चाहिए।
आपको मालूम है की नहीं। मैं बस जानकारी के लिए बता रहा हूँ।
राजन ने कहा -"मुझे मालूम तो है एक्सपीरियंस के हिसाब से।" सीनियर ने कहा -"पहले आप जहाँ काम करते थे वहां ऐसा था की नहीं ?" राजन ने जवाब दिया की वहां अगर मैनेजर सामने दिख गया आते जाते या ऑफिस में तो अभिवादन किया जाता था। नहीं तो अगर आपको अपना काम दे दिया जाता था तो आप अपना काम करते रहो।
उसके बाद राजन अपना काम करते रहा और सीनियर अपना काम करने में व्यस्त हो गया।
राजन उस ऑफिस में नया नया नियुक्त हुआ था। अभी उसे एक महीना भी नहीं हुआ था, इसलिए उसे यहाँ के बारे में काफी कुछ जानना और समझना था। क्योंकि वो यहाँ नया है और उसे यहाँ के बारे में काफी कुछ जानना और समझना है इसलिए उसे सब्र रखना और शांति से सबकी बात सुनना और समझकर सही कदम उठाना जरुरी है ताकि वो यहाँ के अपने काम को सही से समझ सके और जल्दी से समझ सके ताकि अपना काम करने के दौरान उसे बार बार किसी से पूछना ना पड़े।
राजन अपने सीनियर की बात पर गौर करते हुए तार्किक तरीके से सोचने लगा की आज का जो दिन है वो हफ्ते का अंतिम दिन है और इस ऑफिस के नियम के अनुसार आज के दिन जो हेड सर हैं उनका आना जरुरी नहीं है या फिर वो अपनी मर्जी से कितना भी देर से आ सकते हैं और आज ऐसा ही हुआ पहले तो खबर आयी की हेड सर नहीं आने वाले हैं। लेकिन बाद में वो आ गए। राजन जिस कमरे में काम करता है वो हेड सर के कमरे से अलग है और वहां से पता नहीं चलता है की हेड सर के कमरे में कौन आ रहा है और कौन जा रहा है। ऐसे में उसे कैसे पता चलता की हेड सर आ गए हैं की नहीं।
आखिर राजन काम भी तो पूरे लगन से उन्ही का दिया हुआ कर रहा था। वैसे भी काम ज्यादा जरुरी है या किसी हेड या सीनियर की बेतुकी जी हुजूरी करना। खैर इस तरह की समस्याएं तो रहती ही हैं किसी भी तरह के कार्यालय में। इस तरह की समस्यांओ से पूरी तरह छुटकारा तभी मिल सकता जब आदमी अपने काम का खुद मालिक हो या फिर इतना धनवान हो की उसे कहीं नौकरी करने की जरुरत ही ना हो।
बहुत सोचने के बाद राजन इस नतीजे पर पहुंचा की कर्म ही उसका भगवान् है मालिक है। वो यहाँ काम करने आया है और कुछ सिखने आया है। उसे यहाँ बहुत सी बातों को अनदेखा करते हुए सबके साथ व्यव्हार अच्छा करना है और अपने काम समझते हुए इतना माहिर होना है की कल ये नौकरी रहे या ना रहे उसे दूसरी जगह काम मिलने की पूरी सम्भावना हो और वो अपने काम को लेकर आत्मविश्वास से कह सके की मुझे ये काम आता है।
और आगे कहीं इंटरव्यू देने के दौरान भी वो अपने काम और हुनर के बारे में बिना किसी हिचकिचाहट के बता सके। वैसे भी इस बेरोजगारी के दौर में नौकरी के मामले में बहुत ही सोच समझ कर निर्णय लेना चाहिए।
वैसे भी आज के दौर में नौकरी का कोई भरोसा नहीं है। इसलिए बाकि चीज़ों पर ध्यान देने के बजाय अपने काम में माहिर होना ज्यादा सही है।
रही बात किसी हेड या सीनियर की बेतुकी बातें मानने की तो एक हद तक ये भी ठीक हैं। अगर ये बातें हद से ज्यादा बढ़ गयी तो एक समय बाद शांति से नौकरी छोड़ना ही सही रहेगा क्योंकि पैसे कमाने के साथ साथ जिंदगी भी तो सही से जीना जरुरी है। जब तक इन कारणों से नौकरी छोड़ने की नौबत ना आये तब तक अपने काम को अच्छे से समझ लेना और उसमें माहिर होना ज्यादा जरुरी है।
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