हे ऊपरवाले

 जो बीत गया 

जिसको खोकर दिल टूट गया 

दर्द से भरे मन से ये आवाज आयी की हे भगवान , ऐसा क्या गलत किया मैंने जो तू मुझसे रूठ गया 

चल रही थी हसीन सपनो ,उमीदों और चुनौतियों के साथ ये जिंदगी 

अचानक से सपनें छूट गए ,उमीदें टूट गयी और चुनौतियाँ बढ़ गयी 

हे ऊपरवाले

 हे ऊपरवाले दुनिया तेरी बनायीं हुई है 

जो भी रहता है इस दुनिया में वाकई उसके बस में क्या होता है सिवाय ये भरम के की मैं ही मैं हूँ 

अगर तू है तो बिना तेरी मर्जी के कहाँ एक पत्ता भी हिलता है 

हे ऊपरवाले फिर क्यों सबके साथ ऐसा खेल खेलता है 

पहले अपनों से ही अपनों को छीनता है

दर्द देने के बाद ,अंदर तक तड़पाने के बाद धीरे धीरे वक़्त का मलहम मलता है 

तेरा ये वक़्त का पहिया सबकी साँसों के साथ जिंदगी भर ऐसे ही क्यों चलता है  

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