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शांति और धैर्य के साथ सही निर्णय

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कभी कभी हम सब के जीवन में कुछ ऐसा हो जाता है जिसमें किसी की गलती नहीं होती है। उसे अपनी किस्मत मान कर आगे का सोचना ही अच्छा होता है। लेकिन ये जरूरी नहीं की अगर आज आपके साथ कुछ या बहुत ज्यादा बुरा हुआ है तो हमेशा आप के साथ बुरा ही होता रहेगा। समय बदलता रहता है ,हालात भी बदलता है। परिस्थितियाँ हमेशा एक जैसे नहीं होती। वो कहावत भी तो है की सुख और दुःख इस दुनिया के दो नियम है और  सब के जीवन में आते रहते हैं। 

Peace and endurance
शांति और धीरज
आप यह वीडियो भी देख सकते हैं 👇


जब हमारे जीवन में दुःख आता है तब हमारे मन में उथल पुथल होने लगता है यानि हमारा मन शांत नहीं रहता और हमें उस समय दुनिया की कोई भी चीज़ अच्छी नहीं लगती। सब कुछ बुरा प्रतीत होने लगता है। हम सब कुछ तो अपने बस में नहीं कर सकते लेकिन अगर कोशिश किया जाये तो अपने मन को शांत रखा जा सकता है जो की इतना आसान नहीं है जितना कहने में लगता है। जब मन अशांत हो तब कोई भी निर्णय लेने से बचना चाहिए और सब्र रखते हुए सही समय का इंतज़ार करना चाहिए। 

कभी कभी आप ना चाहते हुए भी किसी बहस मे फँस जाते हैं। सही होते हुए भी आप उसकी बात को सही ठहराते हैं और बहस बंद करना चाहते हैं। फिर भी सामने वाला आपको उलझाना चाहता है इससे आपको काफी असहज महसूस होगा ऐसा लगेगा मैं कहा फँस गया यार! और हो सकता है काफी गुस्सा भी आये। अब सवाल ये है की जब हमारे साथ ऐसा हो रहा हो तो हमें क्या करना चाहिए। इसमें बहुत लोगो का अलग अलग विचार होगा जैसे मैं ऐसे लोगो को मुँह नहीं लगाता , ऐसे लोगो से दूर ही रहना चाहिए सिर्फ काम से मतलब रखना है ,औरों के आगे करता होगा वो ऐसा मेरे आगे नहीं चलेगा ये सब। 

Peace and endurance
खुद पर काबू 

ऐसे समय में ध्यान देने वाली बात ये है की वो समय वास्तव में लड़ाई सामने वाले से नहीं बल्कि अपने आप से रहती है। सामने वाले के दिमाग में क्या चल रहा है वो ऐसा क्यों है या वो ऐसा क्यों कर रहा है ये सब हम बाद में सोच सकते हैं। लेकिन हम जितना खुद पर काबू रखेंगे ,शांति से काम लेंगे और अपनी आवाज को काबू में रखेंगे आप उतने ही सफल होंगे उस तरह के हालत से बचने में और सामने वाले पर आपका अच्छा प्रभाव भी पड़ेगा।
 

Peace and endurance
खुद को परखें 

कई बार मेरे सामने ऐसे हालत आये है की मुझे सामने वाले पर बहुत गुस्सा आया था। मेरा मन हुआ था की उसको जोर से थप्पड़ लगा दूँ ,लेकिन मैंने कही पढ़ रखा था और सुना भी था शायद की गुस्से में कोई कदम नहीं उठाना चाहिए क्योंकि गुस्से में आदमी हमेशा गलत कदम उठाता है और बाद में जब एहसास होता है तो बहुत बुरा भी लगता है। इसलिए जब तक मैं गुस्से में था तब तक कोई कदम नहीं उठाया और अपने आप से बातें करता रहा। इसका फायदा ये हुआ की मैं कोई गलत कदम उठाने से बच गया और समय के साथ उसका हल भी निकल गया। उन हालातों ने मुझे ये सिखाया की दूसरों से लड़ने ,बहस करने के बजाय खुद से बात करना चाहिए ,खुद की अच्छाइयाँ और बुराइयाँ परखनी चाहिए और उसके आधार पर अगला कदम उठाना चाहिए। 

खुद को नियंत्रित करना इतना आसान नहीं होता जितना की बोलने में लगता है लेकिन अभ्यास से ,सही-गलत के बारे में सोचने से ,सही लाइफस्टाइल से ये संभव है। 

Peace and endurance
सही जीवन शैली

ये सोचते हुए मुझे एक कहानी याद आयी जो मैंने कही पढ़ी थी। इस कहानी को पढ़कर आपको भी ये बात समझने में मदद मिलेगी। 

उम्मीद है आपको ये कहानी पसंद भी आएगी। 

बरसों पहले की बात है। कोई महात्मा एक बार अपने एक शिष्य के साथ एक वीरान जगह से गुजर रहे थे। काफी चलने के बाद वो दोनों थक गए थे और बहुत प्यास भी लगी थी। दोनों आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे रुके। महात्मा के कहने पर शिष्य पास के पहाड़ी झरने पर पानी लेने चला गया। शिष्य ने देखा कुछ जानवर दौड़कर झरने से निकले ,जिससे झरने का पानी बहुत गन्दा हो गया था। ये देखकर शिष्य बिना पानी लिए लौट गया। 

उसने आकर महात्मा से कहा ,"गुरुदेव ,झरने का पानी साफ नहीं है, उसमे जानवरों के चलने के कारण बहुत गन्दगी है। मैं दूर की नदी से पानी ले आता हूँ।" नदी बहुत दूर थी ,इसलिए महात्मा ने उसे झरने का पानी ही लाने का आग्रह किया।

शिष्य झरने तक गया लेकिन खाली हाथ लौट आया। पानी अब भी गन्दा ही था। 

Peace and endurance
साफ़ मन 

महात्मा ने उसे तीसरी बार फिर पानी लेने के लिए भेजा। इसबार शिष्य जब झरने पर पहुँचा तो ये देखकर चकित रह गया की झरने का पानी बिलकुल साफ था। कीचड़ पानी के नीचे बैठ गया था। शिष्य ने पानी भरा और महात्मा को लाकर दिया। 

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शांत और उज्जवल 

महात्मा ने पानी पीने के बाद शिष्य को समझाया ,"ठीक यही हाल हमारे मन का भी है। जीवन में होने वाली घटनायें हमारे मन को भी उथल-पुथल कर देती हैं ,लेकिन अगर कोई शांति और धीरज से काम ले तो , जैसे उस झरने का पानी बिलकुल साफ़ हो गया था और कीचड़ पानी के नीचे बैठ गया था। मन भी फिर से शांत और उज्ज्वल हो जाता है। और इस तरह से हम अपने जीवन में सही निर्णय ले सकते हैं। 

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